' />
The Place of Translation in a literary Habitat and other Lectures

साहित्यिक पर्यावास और अन्य व्याख्यानों में अनुवाद का स्थान

लेखक : आलोक भल्ला
प्रकाशक वर्ष : 2003
विषय : स्थापना दिवस व्याख्यान
आईएसबीएन : 81-7342-119-6
पृष्ठों : 62
भाषा : अंग्रेज़ी
स्थिति : स्टॉक में
मूल्य : 50
विवरण :

Half way through the battle, Arjuna had doubts about the morality of the war he was engaged in. Half way through the battle, when his chariot wheels had been immobilized, Karna wondered where he went wrong. Sitting under the tree where he would die a few moments later, half-way through his life, Krishna began pondering over the meaning of all that he did or said, or those that he didn't.


संबंधित पुस्तकें


ध्वन्यात्मक पाठक श्रृंखला-बोडो
₹ 100
ध्वन्यात्मक पाठक श्रृंखला-तेलुगु
ध्वन्यात्मक पाठक श्रृंखला-बंगाली (पुनर्मुद्रण)
ध्वन्यात्मक पाठक श्रृंखला-गुजराती
ध्वन्यात्मक पाठक श्रृंखला-बाल्टी
ध्वन्यात्मक पाठक श्रृंखला-लद्दाखी